
यदि आप खुद को यह कहते है, 'मेरे साथ दुर्व्यवहार करता है, कभी मेरी मदद नहीं करता, हर कोई मेरे साथ ऐसा करता है, मुझे पायदान की तरह इस्तेमाल करता है, मेरी आलोचना करता है,' तो यह आपका रुझान है। आपके आंतरिक ऐसे विचार हैं, जो ऐसी भावनाएँ प्रदर्शित करने के लिए लोगों को अपनी ओर खेंचते हैं।तो आईये अब हम कुछ नकारात्मक सोच के लक्षण को विस्तार से समझते है
नकारात्मक सोच के लक्षण
हमेशा चिंतित होना
- नकारात्मक सोच रखने वाले हमेशा किसी न किसी तरह की चिंता में खोये रहते हैं। वे हमेशा यही सोचते रहते हैं कि अब कुछ गलत घटने वाला है। अगर चीजें ठीक भी हो तो भी वे किसी न किसी गलती की आशंका में ही रहते हैं। ऐसे लोग अपने आप हमेशा दुविधा में रखते हैं।
हमेशा निराशा महसूस करना
- वे मनुष्य जीवन के सकारात्मक सोच को नजरअंदाज करते हैं। छोटे-छोटे किसी भी तरह के मामलों में भी वे बुरा पहले सोचने लगते हैं। चीजों से बहुत जल्दी घबराते है। जैसे मॉल की भीड़ को देखकर व सड़क पर लगे ट्रैफिक वे तुरंत निराश हो जाते हैं। उनको जो मिलना है वो भी सफलता उनके मुख पे हसी नहीं ला पाती
असफल
- नकारात्मक सोच के वजह से ही अक्सर मनुष्य अपने जीवन में नई सफलताओं की तरफ नहीं बढ़ पाता है। जीवन में जो कुछ हासिल करने की योग्यता वह रखता था फिर वह उससे कम में ही शांति बनाये रखता है और नई सफलताओं तक पहुंचने की दौड़ में पीछे रह जाता है।
बिता हुआ अतीत
- जिसे हम अपना अतीत या पास्ट कहते हैं, हमारे जीवन का एक भाग जरूर हो सकता है लेकिन जब वह हमारा जीवन उसमे आ जाता है तब समझ लेना चाहिए कि आप नकारात्मकता सोच से घिर चुके हैं। जैसा की हम सब जानते है कि बुरा वक्त सबका आता है लेकिन उसे भूलकर आगे चलने में ही भागीदारी है। आवश्यकता है कि हमें अपने बीते हुए अतीत से सबक लेने कि ना कि उस अतीत को याद कर अपना भविष्य खराब करने की। नकारात्मकता सोच वाले मनुष्य अधिकतर अपने बीते हुए अतीत में अटके दिखते हैं। आप उन्हें कितना भी समझाने की कोशिश करे लेकिन वह उसे निकल नहीं पाते। इसी वजह स है मनुष्य की आत्मा बीते हुए अतीत में ही रह जाते है और उनके पूरे वजीवन को नकारात्मक बना देती है।
याददाश्त में कमी
- मनुष्य आजकल अपनी याददाश्त को खोता जा रहा है एक नकारात्मक सोच का मनुष्य हमेशा अपनी याददाश्त खोता है क्यूंकि ऐसी सोच रखने से मनुष्य उमसे फस जाता है की आखिर मनुष्य क्या करे जिससे उसकी मेमोरी पावर मे कमी आ जाती है